वोटरों के भावनाओं से खेलते मुद्दाविहीन राजनीतक दल


Scgnews : 2024 का चुनाव भी भारत के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा. भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह राम मंदिर बनाने के बावजूद ताबड़तोड़ ढंग से नीतीश कुमार के जदयू, चंद्रबाबू नायडू की तेलुगूदेशम पार्टी, जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल के अलावा 30-32 और पार्टियों से गठजोड़ किया है और दूसरी तरफ आधाअधूरा इंडिया ब्लौक घिसटघिसट कर बना है, लोगों को इस चुनाव में या तो नरेंद्र मोदी के पक्ष में वोट देना होगा या उन के खिलाफ. पहले वोट बंटने की वजह से जो प्रत्याशी 30-35 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत जाते थे,  इस बार वैसा कम होने की संभावना है . भारतीय जनता पार्टी धर्म के नाम पर, रेलों के नाम पर, हवाई अड्डों के नाम पर, सस्ती घरेलू गैस के नाम पर, भत्तों और आर्थिक सहायता के नाम पर  यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि वही एक पार्टी है जो एकजुट है, जिसे लोग छोड़ते नहीं, जिस में मतभेद नहीं और वही भरोसे लायक है. दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने अपने सीनियर नेता राहुल गांधी की पद यात्राओं से पैदा हुई जनता की रुचि को कैश करने और वोटों में बदलने की कोशिश में लगभग सभी राज्यों में विभिन्न दलों से समझौते कर लिए हैं. भाजपा ने पिछले 10 वर्षों में केवल शासन ही नहीं किया है, उस ने पार्टी को मजबूत ही नहीं बल्कि बहुत मजबूत बना डाला है. वैसे देश की जनता से यह उम्मीद तो नहीं किया जा सकता  कि वह विवेक और तथ्य के आधार पर कोई फैसला लेगी क्योंकि इसी जनता ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को भी जिताया था और अब भाजपा को भी जिता रही है. हम भारतीय,भावनाओं में बहने वाले लोग है, मुद्दे चाहे जो भी हों, विषय पर चिंतन विमर्श चाहे कितना भी कर ले निर्णय तो भवानाओं से करते है


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