रायपुर : जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के महिला विभाग रायपुर की ओर से लोगों में जागरूकता पैदा करने और उन्हें यह बताने कि सच्ची स्वतंत्रता क्या है और इसे नैतिकता से कैसे जोड़ा जाए के उद्देश्य से ‘नैतिकता ही स्वतंत्रता का आधार’ विषय पर एक महीने का राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत आयोजित इंटरफेथ सेमिनार में सभी धर्मों के विद्वानों, और दार्शनिक लोगों के साथ एक संयुक्त कार्यक्रम अभियान में में शिक्षाविद, विद्वान, डॉक्टर, प्रोफेसर और विभिन्न एनजीओ से जुड़ी महिलाएं शामिल हुईं। भारतीय सभ्यता में सभी धर्मों के भीतर आ रहे बदलावों से देश के सामाजिक स्तर पर किस हद तक प्रभाव पड़ रहा है, यह विचारणीय है। युवा पीढ़ी भटकाव का शिकार हो रही है।

जगह-जगह शैक्षणिक संस्थान होने के बावजूद समाज की
नैतिक गिरावट का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। इन मुद्दों पर एक विचारशील, ज्ञानवर्धक और समझ
विकसित करने वाला कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम में, रूपी लॉरेंस
प्रिंसिपल सलीम ने नैतिक शिक्षा की अहमियत पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लड़के
और लड़कियों के बीच बिना किसी भेदभाव के समान और सिद्धांतपूर्ण तरीके से नैतिक
मूल्यों की शिक्षा दी जानी चाहिए। समाज में वर्षों से चली आ रही परंपरागत धारणाओं
के कारण बच्चों की शिक्षा और परवरिश में आ रहे भेदभाव पर उन्होंने अपने विचार
प्रस्तुत किए।
राजवंश कौर कोहली, सहायक प्रोफेसर, गवर्नमेंट नवीन कॉलेज, गुड़ीयारी, ने “नैतिक सद्गुण
स्वतंत्रता के आधार” थीम पर अपने प्रभावशाली और उत्साही अंदाज में प्रस्तुति दी।
उन्होंने पूरी तरह से इस बात का समर्थन किया कि इस थीम के आधार पर और समाज में
महिलाओं द्वारा की जा रही कोशिशों में निश्चित रूप से बदलाव आएगा। उन्होंने
जमात-ए-इस्लामी वूमन विंग की सभी महिलाओं को बधाई दी, कि उन्होंने समाज के
इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाकर अपनी जिम्मेदारी का प्रमाण दिया है। डॉ. हेमा लता
बोरकर, सहायक प्रोफेसर, समाजशास्त्र और सामाजिक कार्य (पंडित रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर) ने इस बात पर
प्रकाश डाला कि सामाजिक और जमीनी स्तर पर बदलाव तभी संभव है जब हमारा समाज शैक्षिक
रूप से मजबूत हो।
