सोनिया गाँधी ने राज्यसभा के लिए राजस्थान क्यों चुना


Scgnews :  इस समय कांग्रेस अपनी स्थापना के बाद सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. और संकट की घड़ी में गांधी परिवार को दक्षिण ही सूझता रहा है. आपातकाल के बाद, 1978 में इंदिरा ने कर्नाटक का रुख किया था और चिक्कमगलुरु उपचुनाव में जनता पार्टी के वीरेंद्र पाटिल को मात देकर लोकसभा पहुंचीं. 1980 में इंदिरा ने रायबरेली और आंध्र प्रदेश की मेदक सीट जो अब तेलंगाना में है से चुनाव लड़ा. दोनों पर जीत मिली मगर इंदिरा ने मेदक को चुना. राजीव के निधन के बाद जब पार्टी ने अपनी काफी ताकत खो दी थी तो मुश्किल की घड़ी में सोनिया ने राजनीति के मैदान में उतरने का फैसला किया. 1999 में सियासी पारी शुरू करने के लिए सोनिया ने भी कर्नाटक को चुना. यहां की वेल्लोर सीट के अलावा उन्होंने राजीव की सीट, अमेठी से भी पर्चा भरा. इंदिरा की तरह सोनिया ने भी दोनों जगह जीत दर्ज की. आखिर में उन्होंने अमेठी का सांसद बनना पसंद किया. मगर 2004 में उन्होंने बेटे राहुल के लिए अमेठी सीट छोड़ दी और रायबरेली से चुनाव लड़ा. सोनिया 2004 से लगातार रायबरेली की सांसद हैं. मगर इस बार आखिर क्या वजह है कि सोनिया गांधी ने राज्यसभा जाने के लिए राजस्थान को चुना है.


 राजनीति गलियारे में सोनिया के राज्यसभा जाने को लेकर चर्चा है कि वे रायबरेली सीट अपनी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए छोड़ रही हैं. ठीक उसी तरह जैसे बेटे के लिए अमेठी सीट छोड़ी थी. राजस्थान में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव होना है. कांग्रेस वहां एक सीट जीतने की स्थिति में है. सोनिया का राजस्थान से चुनाव लड़ने से यह संकेत भी जाएगा कि गांधी परिवार ने हिंदी पट्टी को त्‍यागा नहीं है. क्योंकि 2019 में जब राहुल ने अमेठी के साथ-साथ वायनाड से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, तब पार्टी के भीतर और बाहर उनकी आलोचना हुई थी. राहुल ने अमेठी सीट केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के हाथों गंवा दी. 2019 में कांग्रेस का उत्तर भारत में बुरा हाल हुआ. दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पार्टी एक लोकसभा सीट तक नहीं जीत पाई थी जबकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट और छत्तीसगढ़ में दो सीटें मिली थी.

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