SCG NEWS : नीतीश कुमार का भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाले (NDA) गठबंधन मे पुन: शामिल होने को लेकर काफी चर्चाएं है। सीएम की कुर्सी पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए उनका नाम इतिहास में एक ऐसे नेता के रूप में दर्ज किया जाएगा जो NDA और विपक्षी गठबंधन के बीच पेंडुलम की तरह आसानी से घूमता रहा।
नीतीश कुमार के इस तरह पाला बदलने को बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप मे देखा जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले और 2020 में राज्य चुनाव जीतने के बाद में NDA से अलग होने के बाद यह उनकी दूसरी घर वापसी होगी. वहीं दोस्त से दुश्मन बने RJD ये यह उनका तीसरा तलाक होगा ।
हालांकि नीतीश बाबू अभूतपूर्व नौवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता की कुर्सी पर काबिज हो गए लेकिन यह उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता और भविष्य पर सवाल उठाता है. उनका बार-बार पलटना बिहार की राजनीति की अस्थिर प्रकृति और गठबंधन सरकार की चुनौतियां दर्शाता है. राज्य की प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, उनके फैसले अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में केंद्रित लगते हैं.
राम मंदिर के भव्य उद्घाटन और पूरे देश में बीजेपी के पक्ष में बने सकारात्मक माहौल ने मतदाताओं को इमोशनल कर दिया, ऐसे में लगता है कि नीतीश ने अपना राजनीतिक कद बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया है.
भविष्य मे मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश के कार्यकाल को पाला बदल कर सत्ता में काबिज रहने और गिरावट दोनों के रूप में पहचाना जाएगा . सत्ता से चिपके रहने की उनकी आदत के चलते , उनकी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) ने चुनावी समर्थन और जनता के विश्वास में लगातार गिरावट झेल रही है.
नीतीश कुमार का I.N.D.I गठबंधन को छोड़ना, गुट पर राजनीतिक और चुनावी दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रभाव पूरे राज्य में पड़ने की संभावना है. संभावित रूप से मतदाताओं का ध्रुवीकरण हो सकता है और राजनीतिक नेतृत्व में विश्वास कम हो सकता है. विकास के अग्रदूत के रूप में रही उनकी एक बेदाग छवि को अब राजनीतिक अवसरवादिता के आरोपों से धूमिल होने के खतरे का सामना करना पड़ रहा है जिससे मतदाता निराश होंगे और इसका लाभ विपक्षी एक नई आंदोलन मे जान फूँकने मे कर सकते है .जिससे बिहार मे पुन: एक राजनीतिक पुनर्गठन देखने की संभावना को बल मिल सकता है ।
अब INDIA गठबंधन का क्या होगा?
कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले UPA (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) को 'INDIA' के रूप में री-ब्रैंड किया गया है.
आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस दोनों क्रमशः पंजाब और पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे पर सहमत नहीं हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 11 सीटें देने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने कहा की अभी सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी है. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की वजह से पार्टी में टूट के बावजूद शिवसेना का उद्धव गुट 23 सीटों की मांग कर रहा है, और JDU के भी बाहर निकलने से INDIA गठबंधन बिखरता नजर आ रहा है.