मुख्यमंत्री विष्णुदेव ही क्यों ?


SCG News : mukhyamantree vishnudev hee kyon ?  3 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए लौटरी के ईनाम जैसा रहा एसे मे  मुख्यमंत्रियों के नाम की घोषणा भी लौटरी से कम नहीं रही । और इनाम मे  छत्तीसगढ़ के  मुख्यमंत्री का पद मिला विष्णुदेव साय को जो आदिवासी समुदाय से आते हैं.

4 बार लोकसभा सदस्य रहे छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री 59 वर्षीय विष्णुदेव साय की प्रमुख खूबी यह है कि वे प्रतिबद्ध भाजपाई और जनसंघ की पृष्ठभूमि वाले नेता हैं, यानी हिंदुत्व उन के खून और मिजाज दोनों में है. उन के दादा बुधनाथ साय और ताऊ नरहरी प्रसाद साय भी जनसंघ से विधायक चुने गए थे.
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को भाजपा ने वीआरएस देते हुए विधानसभा अध्यक्ष बनाकर सम्मानजनक विदाई कर दी है तो अरुण साव और विजय शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाते हुए उन्हे एक विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की आबादी लगभग 33 फीसदी है जो 90 में से 30 सीटों पर सीधे प्रभाव रखती है. और जिस कुनकुरी विधान सभा सीट से विष्णु देव जीते हैं वह सरगुजा संभाग की है जहां की सभी 14 सीटें भाजपा की झोली में गिरी हैं. इतना ही नहीं, हैरतअंगेज तरीके से बस्तर की 12 में से 8 सीटें भी उसे मिली हैं. यानी, इस बार आदिवासी भाजपा पर ठीक वैसे ही मेहरबान रहा है जैसे 2018 के चुनाव में कांग्रेस पर रहा था.
जब कांग्रेस ने इस राज्य का पहला मुख्यमंत्री आईएएस अधिकारी अजित जोगी को बनाया था तब उन की जाति को ले कर सवाल भी उठे थे और बवाल भी मचा था कि वे सचमुच के अदिवासी हैं भी या नहीं. अजित जोगी की जाति का मसला उन की मौत के बाद तक पहेली बना हुआ है जिस के अपने अलग सियासी माने हैं. आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग रमन सिंह के मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद भी उठी थी लेकिन भाजपा ने भी उस पर गौर नहीं किया था.
2018 में जब कांग्रेस भारी  बहुमत से सत्ता में आई तो उस ने पिछड़े तबके के भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया जिनके कार्यकाल को बेहतर कहा जा रहा था. वोटर ने उन्हें क्यों नकारा, इस की वजहें अच्छे अच्छे  विश्लेषकों को भी समझ नहीं आ रहा .
चूंकि सत्ता में वापसी की उम्मीद कम थी इसलिए भाजपा ने साल 2023 की शुरुआत से ही छत्तीसगढ़ में संतों की धार्मिक यात्राओं शुरू कराई  जिसका शुरुआती असर तो नहीं दिखा था लेकिन फरवरी में विश्व हिंदू परिषद ने 700 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा का आयोजन किया था जिसके  संयोजक थे सर्वेश्वर दास महाराज.हिंदू राष्ट्र की मांग करती 500 संतों के हुजूम वाली यह पदयात्रा एक महीने चली थी और शिवरात्रि के दिन आदिवासियों के सब से बड़े मंदिर मां दंतेश्वरी में जम कर पूजापाठ व यज्ञहवन हुए थे जिस में बड़ी तादाद में आदिवासी मौजूद थे.
इस यात्रा से तात्कालिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इतने बौखला गए थे कि उन्होंने बड़े पैमाने पर राम वन गमन पथ विकसित करने का ऐलान कर दिया था. और यही भाजपा चाहती थी कि कांग्रेस भी साधुसंतों, पूजापाठ और यज्ञहवन की राजनीति करे जिस से आदिवासियों में हिंदुत्व की फीलिंग आ जाए.

धर्मकर्म का यही माहौल आदिवासियों को रास आता रहे, इस की जिम्मेदारी अब विष्णुदेव साय को दी गई है. विष्णुदेव साय भी उत्साह में हैं क्योंकि उन्हें सपने में भी  उम्मीद नहीं थी कि कई दिगगजों को किनारे करते भाजपा आलाकमान उन्हें यह मौका देगा.
ऐसे ही चौंकाने वाला फैसला भाजपा ने उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाते हुए लिया था जो अब पूरी तरह से धर्म और पूजापाठ की राजनीति कर रहे हैं. हरियाणा में मनोहर सिंह खट्टर को भी इसीलिए मुख्यमंत्री बनाया गया था कि वे कट्टर हिंदुत्व के हिमायती हैं. छत्तीसगढ़ मे आदिवासियों का कितना भला होगा, और भाजपा को कितना लाभ सामने है लोकसभा चुनाव । फिलहाल नई सरकार को बधाई और शुभकामनाए । “अरुण -विष्णु-विजय भव “

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