नई दिल्ली
– दिल्ली के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
वाले छह मंदिरों पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोक दिया है, जिससे शहर के लोग और धार्मिक संगठनों
में हलचल मच गई है। यह दावा 2019 की
एक रिपोर्ट के आधार पर किया गया है, जिसमें यह खुलासा हुआ कि इन मंदिरों की जमीन वक्फ बोर्ड की
मानी जा रही है। खास बात यह है कि इनमें से कुछ मंदिर वक्फ बोर्ड के गठन से पहले
के बने हुए हैं, जो
इस मामले को और भी विवादास्पद बना रहा है।
वक्फ बोर्ड की
दावेदारी पर मचा घमासान
वक्फ बोर्ड को लेकर देशभर में पहले से
ही बहस छिड़ी हुई है। हाल ही में लोकसभा में वक्फ बोर्ड से जुड़े दो संशोधन विधेयक
पेश किए गए थे, जिसके
बाद जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी) का गठन हुआ। अब तक चार बैठकें हो चुकी
हैं, जिनमें वक्फ बोर्ड की
कार्यप्रणाली पर चर्चा की गई और आम जनता से सुझाव मांगे गए। इसी दौरान दिल्ली के
छह मंदिरों पर वक्फ बोर्ड की दावेदारी ने पूरे मामले को गरमा दिया है।
2019 की
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
यह विवाद तब और गहरा गया जब 2019
की अल्पसंख्यक आयोग की एक रिपोर्ट सामने
आई, जिसमें दावा किया गया
कि दिल्ली के कई मंदिर वक्फ बोर्ड की जमीन पर बने हुए हैं। इस रिपोर्ट को 'फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट' कहा गया, और इसमें इन छह मंदिरों को भी शामिल
किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, कई मंदिर ऐसे हैं जो वक्फ बोर्ड बनने से पहले ही स्थापित हो
चुके थे, फिर भी वक्फ बोर्ड ने
इन पर अपना दावा किया है।
बिहार में भी वक्फ
बोर्ड की दावेदारी का मामला
दिल्ली के इन मंदिरों पर वक्फ बोर्ड की
दावेदारी का मामला अकेला नहीं है। कुछ समय पहले बिहार में भी एक पूरे गांव,
जिसमें 90% हिंदू रहते हैं, पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा किया था। यह
गांव पटना से 30 किलोमीटर
दूर गोविंदपुर है, जहां
करीब 5,000 लोग रहते हैं। गांव
के सात लोगों को वक्फ बोर्ड से नोटिस जारी किया गया और उनसे जमीन खाली करने की
डेडलाइन भी दी गई। इस मामले ने बिहार में भी बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था।
वक्फ बोर्ड की जमीन
का दायरा बढ़ता जा रहा है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देशभर में वक्फ संपत्ति का दायरा लगातार
बढ़ रहा है। 2006 में
जहां वक्फ संपत्ति 1.2 लाख
एकड़ थी, वहीं 2009 में यह बढ़कर 4 लाख एकड़ हो गई। 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 9.4 लाख एकड़ हो चुका है। वक्फ संपत्तियों
के इस विस्तार ने कई विवादों को जन्म दिया है।
वक्फ बोर्ड संशोधन
विधेयक पर सुझाव मांगे गए
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक, 2024 को लेकर जेपीसी ने जनता से सुझाव मांगे
थे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, 18 सितंबर 2024 तक
समिति को इस पर 91,78,419 ई-मेल
प्राप्त हुए थे, जो
इस मुद्दे की गंभीरता और जनभावनाओं को दर्शाता है।
इस विवाद ने देशभर में वक्फ बोर्ड की
कार्यप्रणाली और उसकी संपत्तियों पर उठने वाले सवालों को और हवा दे दी है। लोगों
में यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिरकार धार्मिक स्थलों और गांवों पर वक्फ बोर्ड की
यह दावेदारी किस आधार पर हो रही है और क्या यह विवाद आगे चलकर और भी गहरे रूप
लेगा।