दो-दो मंत्री छह विधायक फिर भी हार गई भाजपा


  SCG NEWS . नरेंद्र  पाण्डेय :  लोकसभा चुनाव के नतीजो ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका दिया है प्रदेश के 11 में से सिर्फ एक सीट ही कांग्रेस के हिस्से आई.जिले के बाहर जाकर दूसरी लोकसभा सीटों से दावेदारी करने वाले सभी दिग्गजों को हर का सामना करना पड़ा है. प्रदेश की राजनीति इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक ही जिले के चार बड़े नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए दूसरे जिले में भेजा गया हो इनमें से कांग्रेस ने अपने तीन बड़े नेताओं पूर्व सीएम भूपेश बघेल को राजनांदगांव पूर्व मंत्रि ताम्रध्वज साहू को को महासमुंद पर और क देवेंद्र यादव को बिलासपुर सीट से प्रत्याशी बनवाया था तो भाजपा ने अपनी सबसे कददावार और तेज तर्रार महिला नेत्री पूर्व राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय को कोरबा लोकसभा से उम्मीदवार बनाया.
 Rajya Sabha Polls: BSP's MLA Votes In Favour Of BJP’s Saroj Pandey, Ensures Win - News18

 लेकिन वह उसे क्षेत्र में जाकर के वहां की जनता पर अपना विश्वास नहीं बना पाए और जनता ने उन्हें बाहरी प्रत्याशी बताते हुए नकार दिया. कांग्रेस प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार में इतना उलझ गए थे कि उन्हें दुर्ग की सुध भी न रही.
छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस मात्र एक सीट जीत पाने में ही कामयाब हुई. वो सीट रही कोरबा की. प्रदेश की सबसे वीआईपी सीट कही जाने वाली राजनांदगांव लोकसभा से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगभग 44 हजार से ज्यादा वोटो से चुनाव हार गए . ऐसे मे सवाल उठने लगा है कि जो कद्दावर नेता चुनाव हार गए आने वाले दिनों में पार्टी में उनकी भूमिका क्या होगी.  छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भूपेश बघेल सबसे बड़ा चेहरा माने जाते हैं और यही वजह है कि पार्टी ने उन्हें राजनांदगांव से टिकट दिया था चर्चा है कि बघेल की और उनकी टीम को टिकट वितरण के पहले ही क्षेत्र में तैयारी करने के निर्देश दिए गए थे साथ ही बघेल ने पूरा चुनाव अपनी स्टाइल में लड़ा इसलिए चुनाव के बाद अब उनकी प्रतिष्ठा पर सवाल उठने लगे हैं. भूपेश बघेल को प्रियंका गांधी का करीबी भी माना जाता है उम्मीद थी अगर वह चुनाव जीत जाते तो राष्ट्रीय स्तर पर उनके कद में बढ़ोतरी होती परिणाम के बाद फिलहाल यह मुश्किल तो नजर आने लगा है.लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को  बीजेपी के गढ़ से मैदान में उतारा

 छत्तीसगढ़ में साहू समाज के सबसे बड़े नेताओं में शुमार पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को साहू बाहुल्य सीट महासमुंद से टिकट दी गई थी लेकिन उन्हें यहां से करारी हार का सामना करना पड़ा चुनाव प्रचार के दौरान महासमुंद भी एक ऐसी सीट है जहां कांग्रेस के किसी बड़े नेता की सभा नहीं हुई जिसकी चर्चाएं आम है. चर्चा उनकी सेहत और महासमुंद के परिणाम के बाद यह भी हैँ कि भविष्य मे उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी पार्टी की ओर से दी जाएगी या नहीं.जांजगीर चंपा के सीट पर भारतीय जनता पार्टी की कमलेश जांगड़े से लगभग 60000 वोटो से चुनाव हारने वाले  कांग्रेस सरकार मे मंत्री रहें कददावार नेता शिव डहरिया को लेकर के भी पार्टी के भीतर खाने में काफी चर्चा चल रही है कयास हैँ कि डहरिया का यह अंतिम चुनाव भी हो सकता है क्योंकि इससे पहले भी डहरिया विधानसभा में बुरी तरह से हार गए थे. नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिव कुमार डहरिया ने भाजपा पर सौतेला व्यवहार करने का  लगाया आरोप – HNS24NEWS

बिलासपुर सीट ने इस बार भी कांग्रेस को इस बार भी कांग्रेस को निराश किया है यह सीट पिछले 40 साल से भाजपा का गढ़ बनी हुई है तमाम कोशिशो के बावजूद कांग्रेस यहां अपना परचम फहराने मे कामयाब नहीं हुई, अंदर खाने गुफ़्तगू है कि बघेल नहीं चाहते थे कि यादव यहां पर चुनाव लड़े लेकिन इस सीट पर यादव समाज की बहुलता को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने उन्हें यहां से मौका तो दिया था मगर देवेंद्र कुछ कमाल नहीं कर पाए हालांकि यह उनका पहला चुनाव था जो वो हार गए ऐसे में उनकी जिम्मेदारियां में तो कमी नहीं आयेगी लेकिन साख पर असर जरूर पड़ेगा. छत्तीसगढ़ की सबसे ऐतिहासिक सीटों में रही है रायपुर जहां से पूर्व विधायक विकास उपाध्याय कांग्रेस की ओर मैदान में थे
Mla Vikas Upadhyaya Biography In Hindi:-विधायक विकास उपाध्याय का जीवन  परिचय। | Mla Vikas Upadhyaya Biograpgy In Hindi, Age, Biography, Education,  Wife, Cast, Net Worth, Contact, Adress, Height, Bio Birthday, Wiki

 पार्टी ने उन्हें अब तक कुल तीन बार विधायक और एक बार सांसद का चुनाव लड़ने का मौका दिया जिसमें से वह केवल एक बार कल 2018 में ही चुनाव जीत करें एमएलए बने थे बाकी तीन चुनाव वो हार गए. रायपुर पश्चिम से भी विकास को लीड नहीं मिली वह वहां से लगभग 38000 वोटो से पीछे थे यही नहीं एक भी राउंड में वह बृजमोहन को पीछे कर लीड नहीं ले पाए ऐसे में चर्चा है कि इस बार चुनाव परिणाम के बाद उनकी मुश्किलें शायद कुछ बढ़ सकती है
 .Brijmohan Agrawal

बात तो भाजपा नेताओं की भी होनी चाहिए 11 की 11 सीट जीतने का दावा करने वाली भाजपा से 1सीट न जीत पाने की चूक कहाँ हो गई. चर्चा तो कोरबा लोकसभा की होनी ही चाहिए जहाँ से दो दो मंत्री होने के बावजूद कोरबा लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुनाव हार जाती है. बात तोउठनी इन मंत्रियों का उनके क्षेत्र में कितना असर है बात इस पर भी होनी कि प्रदेश में 12 मंत्रियों में से 11 चुनाव जीतने की भूमिका में थे.. एक मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को छोड़ दे जो खुद लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे तो सीएम, डिप्टी सीएम समेत इन 11 मंत्रियों ने 11 लोकसभा सीट जीतने का जो स्वप्न देखा था उसको सच करने में कितना दम लगाया . बात तो होनी चाहिए कि विधानसभा क्षेत्र कोरबा से लखनलाल देवांगन विधायक हैं और सरकार में मंत्री भी इसी लोकसभा के अंतर्गत आता है मनेद्रगढ़ की विधानसभा जहां से श्याम बिहारी जायसवाल विधायक है और वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री हैं. कोरबा लोकसभा के अंतर्गत आठ विधानसभा सीट आती है जिनमें से छह विधानसभा पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक है प्रश्न यही है कि फिर इस सीट पर चूक कहां से हो गई दो-दो मंत्री छह विधायक से एक सांसद जीता पाने में नाकाम क्यों हो गए? इस लोकसभा के लिए मुझे एक मशहूर शेर याद आता है कि हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था जो यहां बिल्कुल फिट बैठ रहा है सरोज पांडे ने इस इलाके के दौरा करने सभाएं लेने लोगों को अपने बोलने की कला से अपनी तरफ आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी मगर और बाकी स्थानी नेता उनके साथ पसीना बहाते कम ही दिखे थे.

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