आयुर्वेद की जीवनशैली और वैदिक विज्ञान को आधुनिक चिकित्सकीय तकनीकी से जोड़कर ही सम्पूर्ण स्वास्थ्य की परिकल्पना को सार्थक किया जा सकता है :डॉ अनिल गुप्ता



रायपुर। वर्तमान समय में लोगों के लिए सबसे अधिक आवश्यक हो गया है खुद को स्वस्थ रखना। स्वस्थ होने का अर्थ सिर्फ बाहरी शारीरिक नहीं बल्कि आंतरिक शारीरिक अंगों को और मानसिक रूप से भी। क्योंकि बिगड़ी जीवनशैली, खानपान, नींद पूरी ना होने, प्रदूषण आदि जैसे विभिन्न कारणों से आज सम्पूर्ण भारत ही नहीं विश्व भर में लोग तमाम बीमारियों से ग्रसित हो रहें हैं। लोगों को पता ही नहीं चल पाता कि वे कितने गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं। इसको गहराई से अध्ययन करने की भी जरूरत है। दवा रोग उत्पन्न होने के बाद दिया जाता है, किन्तु दवा उसको प्राकृतिक रूप से पुनः की स्थिति में नहीं ले जा सकती है। हां रोग को बढ़ने से जरुर रोक देती है अथवा प्रभाव को कम कर सकती है।
ऊर्जा शरीर एवँ उसका ज्ञान और उसका संतुलन, आपके जीवन में ,आपके संपूर्ण स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान देता है। चक्र विज्ञान ही एकमात्र ऐसा विज्ञान है जो आपके ऊर्जा शरीर को भौतिक शरीर के साथ संतुलित रखता है। आपके जीवन को हर तरीके से सार्थक बनाता है। वैदिक विज्ञान मानता है कि हमारे शरीर मे सात चक्र होते है जो लाइफ फोर्स एनर्जी के केंद्र होते है।ये चक्र ही हमारे भौतिक,भनात्मक और आध्यात्मिक वैलनेस के लिए उत्तरदायी होते है।प्रत्येक चक्र एक विशिष्ठ रंग,ध्वनि और तत्व से जुड़ा होता है।जब ये चक्र सन्तुलित होते है एवँ इनमें लाइफ फोर्स एनर्जी का प्रवाह भी सन्तुलित होता है तब हम स्वस्थ और वैलनेस की अवस्था मे होते है ,लेकिन इनके अंतुलन से हम अस्वस्थता की ओर जाते है।
उक्त बातें डॉ अनिल गुप्ता ने आयुष विश्विद्यालय में बॉडी बियॉन्ड बॉडी पर आयोजित एक सेमिनार में लाइफ फोर्स एनर्जी और बीमारियों के सम्बंध पर व्याख्यान देते हुए कहा।
आयुष विश्विद्यालय के कुलपति डॉ चंद्राकर ने कहा कि हम सभी योग और आयुर्वेद को मनते है लेकिन इसकी गहराई को समझ नही पाने के चलते अज्ञानता वश हम इसे अपने जीवनशैली में अपना नही पा रहे और कई गम्भीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे है।डॉ अनिल के इस कांसेप्ट ने बड़े ही सरलता से मन शरीर दिमाग और आत्मा के आपसी सबंधो को समझा दिया।इस कांसेप्ट से ये समझ मे भी आ रहा है कि रोग और रोगी का परस्पर सम्बन्ध क्या है।
रजिस्ट्रार डॉ हिषीकर ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा वैदिक विज्ञान अद्भुत है।who ने भी Health और  Welllness को परिभाषित करते हुए 7 आयामो की बात की ही । Physical,emotional, और Spritual असुंतलन से ही रिग उत्तपन्न होते है।योग ,ध्यान आदि के निरन्तर अभ्यास से हम अपनी लाइफ फोर्स एनर्जी को सन्तुलित कर अपने स्वास्थ्य एवं वैलनेस को बढ़ा सकते है।
कार्यक्रम के कोआर्डिनेटर डॉ नरेंद्र पाण्डेय ने कहा कि इस तरह के  सेमिनार के माध्यम से हमारा उद्देश्य लोगों में बीमारियों के प्रति नही अपितु सम्पूर्ण स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करना है।
डॉ अनिल जो एक नेत्र रोग विशेषज्ञ है ने वैदिक विज्ञान में पीएचडी प्राप्त कर इंटीग्रेटेड हॉलिस्टिक हेल्थ कांसेप्ट के तहत पोसिटिव हेल्थ की स्थापना की है जहाँ मौजूद अंतर्राष्ट्रीय उपकरणों GDV Biowell द्वारा व्यक्ति के चक्रों,नाड़ियों और उनमें प्रवाहित होने वाली ऊर्जा का संतुलन नापा और देखा जा सकता है।एवँ वेदापल्स के द्वारा वात,पित्त और कफ दोष का पता लगाकर व्यक्ति के व्यक्तिगत लाइफ स्टाइल एवँ दिनचर्या बनाकर उनके स्वास्थ्य और वेलनेस्स पर कार्य किया जाता है
अपने अनूठे हेल्थ कॉन्सेप्ट को लेकर देश विदेश में सेमिनार दे रहे है।अभी हाल ही में आपने अपने 15 दिवसीय अमेरिका प्रवास के दौरान न्यूजर्सी,कैलिफोर्निया,टेक्सास आदि जगहों पर लगभग 8 सेमिनार दिए है।इसके पूर्व वर्ष 2022 के सितम्बर माह में भी आप एक सप्ताह के प्रवास पर अमेरिका गए थे।तब आपके सेमिनार से प्रभावित होकर लगभग 25 डेलिगेशन छग आ कर इस विधा को जाना।

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