भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर बीते दिनों कुछ नरमी देखने को मिली।
देपसांग और डेमचोक के फ्रिक्शन पॉइंट पर डिसइंगेजमेंट के बाद दोनों देशों में बातचीत का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है। जानकारी के मुताबिक जल्द ही भारत के सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल चीन की यात्रा करने वाले हैं।
इस दौरान वह अपने समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि वह दो से तीन दिन चीन के दौरे पर रह सकते हैं। दोनों ही देश इस दौरे की तारीख निश्चित करने पर लगे हैं।
सूत्रों का कहना कि दिसंबर के आखिरी या फिर जनवरी की शुरुआत में ही एनएसए डोभाल चीन जा सकते हैं। इस दौरान वह विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता करेंगे। डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग के बीच रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में 12 सितंबर को बातचीत हुई थी। इसके बाद ही डिइंगेजमेंट को लेकर सहमति बननी शुरू हो गई और फिर 21 अक्टूबर को इसपर अंतिम निर्णय हो गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच भी 23 अक्टूबर को ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई थी। इसके बाद जी20 सम्मेलन में रियो डि जनेरो में 18 नवंबर को चीनी विदेश मंत्री एस जयशंकर और वांग यी के बीच बातचीत हुई। 20 नवंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी अपने चीनी समकक्ष से मिले। वह एसियन डिफेंस मिनिस्टर प्लस की मीटिंग में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच मुलाकात के दौरान ही तय हो गया था कि आगे की बातचीत किस तरह से बढ़ाई जाएगी। दोनों देशों ने ही सीमा विवाद का हल निकालने को लेकर सहमति जताई।
स्पेशल रिप्रजंटेटिव मकेनिजम की शुरुआत 2003 में ही हो गई थी। इसका उद्देश्य सीमा विवाद को सुलझाने की रणनीति यतैयार करना था। इसके बाद 22 बार की वार्ता हुई।
आखिरी बार 2019 में इस मकेनिजम के तहत वार्ता हुई थी। तभी 2020 में गलवान घाटी में झड़प हो गई और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। वहीं कई चीनी सैनिकों को भी जान गंवानी पड़ी थी। गलवान घाटी की घटना के बाद दोनों देशों के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच बफर जोन बनाए जाने पर बात हो सकती है।
इसके अलावा कोर कमांडर स्तर की वार्ता की भूमिका भी तय की जा सकती है। बीते दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था दोनों देशों में संतुलन फायदेमंद साबित होगा। हालांकि यह कोई आसान काम नहीं है। फिलहाल तनाव को कम करके बातचीत के जरिए आगे बढ़ने पर ही फोकस किया जा रहा है।