Left की साजिशे और मोदी का रूस दौरा


Narendra Pandey : फ़्रांस के असेम्बली चुनाव के नतीजो का अवलोकन करने के बाद मुझे फ्रांस और भारत की राजनीति में कुछ समानता दिखी . फ्रांस में वही हुआ जिसकी कोशिशे भारत में की जा रही थी .फ्रांस और भारत दोनों देशो में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला . भारत में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन बहुमत NDA गठबंधन को मिला . फ्रांस में भी राईट विंग पार्टी और मरीन लीपेन को रोकने के लिए ठीक वैसे ही तरीके अपनाए गए जैसे भारत में INDI गठ्बन्धन बनाकर किया गया . फ्रांस में लेफ्ट और सेंट्रीस पार्टीस मिल गई जिसमे राष्ट्रपति मैक्ग्रो की पार्टी भी शामिल है. गौर करने की बात है की जब पहले राउंड के चुनाव के बाद लगने लगा था की लीपन की पार्टी जीत सकती है , सत्ता पर आ सकती है तो 130 उम्मीदवारो द्वारा नामांकन वापस कर लिए जाते है ताकि कांटेस्ट त्रिकोणीय न हो जाए और इससे लिपेन की पार्टी और गठबंधन दलों के बीच सीधा मुकाबला हो गया.

Squeezed between Far-Left and Far-Right ...

समझने की बात यह है कि दुनिया भर का जो लेफ्ट विंग इको सिस्टम है वह भारत सहित पूरे विश्व में राईट विंग की शक्तियों को रोकने की पूरी कोशिशे कर रहा है. हाल ही में आये पुतिन और जार्ज सरोज के बयान का मतलब भी यही निकला जा सकता कि भारत में भी लेफ्ट लिबरल के लोग मोदी को हारने के लिए कितने बड़े पैमाने में पैसै लेकर बैठे है . अगर आप यह सोचते है कि पोलिटिकल कंडीडेट और राजनितिक पार्टीज की जीत हार का निर्णय आप करते है तो यह आपका भ्रम है . दरअसल राजनीति की बिसात पर आप मात्र एक भ्रमित दर्शक है और नेता मोहरे . यह खेल एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश है . कुल मिलाकर कहा जाये तो जैसा भारत में होना था वैसा फ्रांस में हो गया . अब फ्रांस में गठ्बन्धन की सरकार होगी अर्थात प्रश्न स्थिरता का होगा और यदि अस्थिर सरकार होगी तो अर्थव्यवस्था पर मार पड़ेगी . वर्तमान में फ्रांस दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था वाला देश है जिसके खतरे में आने की सम्भवना हो जायेगी . दूसरा यदि गठ्बन्धन की सरकार बनेगी तो माइग्रेट्स को लेकर नियमो में शिथिलता बनेगी जिसके लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी और इसका आसर रूस-युक्रेन युद्ध पर भी पडेगा . अब फ्रांस युक्रेन को पहले जैसा मदद करने की स्थिति में नहीं रहेगा .

Russia Looks Less and Less Like India's Friend | RAND

बात रूस-युक्रेन की हो रही है तो भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के रूस दौरे की भी करनी चाहिए जिनके मास्को पहुँचते ही किस तरह रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने उनका गले लगाकर अभिवादन किया तो युक्रेन के राष्ट्रति जेलेंसकी ने कहा की मोदी दुनिया के सबसे बड़े खूनी व्यक्ति के गले मिल रहे है इससे शान्ति के प्रयासों को धक्का लगेगा . जबकि जेलेंसकी जानते है की मोदी ही पूरी दुनिया के अकेले राष्ट्राध्यक्ष है जिन्होंने समिट के दौरान रूस से कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है और अभी मास्को में भी उन्होंने कहा की युद्ध के मैदान से शान्ति का रास्ता नहीं निकलता . बम ,बन्दूको और गोलियों के बीच शान्ति संभव नहीं हो सकती . मोदी की रूस यात्रा इस लिए भी प्रासंगिक है क्योंकि पूरी दुनिया विशेषकर अमेरिका और यूरोप रूस से इंधन खरीदने को लेकर भारत की आलोचना करते रहे है , भारत पर दबाव बनाते रहे है. मोदी अब भारत के पहले नागरिक हो गए है जिन्हें रूस ने अपने देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाज़ा है . पुतिन द्वारा मोदी को यह सम्मान दिये जाते ही मोदी का यह विभिन्न देशो द्वारा दिए जाने वाला 16 वां सर्वोच्च सम्मान है . प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मान को 140 देशो का सम्मान कहकर स्वीकार किया . इस दौरे से यह तो तय है ही की, दोनों देशों के रिश्तो में गर्माहट आएगी और विश्व में जो अमेरिका की दादागिरी है,दरोगागिरी है, उसे भी आयना दिखाया गया है . मोदी ने इस मुलाक़ात से यह संदेश देने की कोशिश की है की हमारे लिए राष्ट्रहित और देश की सुरक्षा प्रमुख है. इस पर हम कोई भी समझौता नहीं करते और न ही किसी के दबाव पर आएगे . इसलिए तो पूरा विश्व भारत की वर्तमान विदेश निति और कूटनीति की सराहना करता है . इसलिए तो मोदी को फिलिस्तीन, सऊदी अरब, युएई,अमेरिका और रूस जैसे देशो ने अपने यहाँ के सर्वोच्च सम्मान से सुशोभित किया है .

Backing Mallikarjun Kharge as Congress President Has Been Rahul Gandhi's  Best Decision: 9 Reasons Why

मगर भारत की डर्टी पालटिक्स को देखिये जिस दिन मोदी मास्को में लैंड करते है उसी दिन राहुल गांधी मणिपुर जाते है, मल्लिकार्जुन खड्गे चीन द्वारा भारत के जमीन के अतिक्रमण को लेकर बयान देते है, ठीक उसी दिन कठुआ में भारतीय सैन्य वहन पर हमला होता है . क्या इन सब घटनाओं को एक सुनियोजित लिंक से नहीं देखा जा सकता ?

VIEW MORE

Category News