जाएँगे तो फँसते है न जाये तो ... बड़े कन्फ्यूजन में कांग्रेस


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अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को ऐतिहासिक बनाने में जुटी भाजपा ने विपक्ष के नेताओं को न्‍योता भेजकर उन्‍हें पूरी तरह उलझा दिया है। विपक्ष को समझ नहीं आ रहा कि वे करें तो क्या करें। उन्हें इस बात का डर है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी राम मंदिर का पूरा श्रेय अपने खाते में ले  लेगी। उसे पता है क‍ि बीजेपी 22 जनवरी कक होने वाले इस समारोह को इतना बड़ा और भव्‍य बनाएगी क‍ि दुनिया देखेगी। और विपक्ष के सामने दुविधा यही है कि वह आयोजन में जाने से मना करेगा तो फंसेगा, वहां जाएगा तो भी।  बीजेपी ने राम मंदिर मुद्दे पर विपक्ष को पूरी तरह धर्मसंकट में डाल दिया है। विपक्ष के जिन नेताओं को निमंत्रण मिला है, उनमें पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, अधीर रंजन चौधरी, सीताराम येचुरी सहित कई नाम शामिल हैं। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई मंत्रियों और 4000 संतों के शामिल होने की उम्मीद है। काँग्रेस की दिक्‍कत यह है कि अगर सोनिया, खरगे और अधीर कार्यक्रम में नहीं जाते हैं तो बीजेपी को  कांग्रेस को 'हिंदू विरोधी' साबित करने में जरा देर नहीं लगेगी। और जाते हैं तो मुसलमानों की नाराजगी मोल लेनी पड़ सकती है। कांग्रेस के नेता कार्यक्रम में गए और सपा-बसपा ने इससे दूरी बनाई तो मुस्लिम वोटरों का समीकरण बिगड़ सकता है। दरअसल, उस स्थिति में मुसलमान मतदाता सपा और बसपा का रुख कर सकते हैं। कांग्रेस ऐसा बिल्‍कुल नहीं चाहेगी।हाल के कुछ वर्षों में कांग्रेस मुसलमानों का भरोसा जीतते हुए दिखी है। तेलंगाना में कांग्रेस की फतह इसकी बानगी है। वहां बीआरएस से पल्‍ला छुड़ाकर मुसलमानों ने कांग्रेस का हाथ थामा। सबसे ज्‍यादा संसदीय सीटों वाले यूपी का उदाहरण लें तो यहां सपा की सबसे बड़ी ताकत मुस्लिम मतदाता के साथ उसका खड़ा होना है। बसपा और कांग्रेस को भी उनका वोट मिलता है। बीजेपी को चुनौती देने वाली पार्टी की तरफ मुस्लिम वोट एकतरफा पड़ता है। राष्‍ट्रीय स्‍तर पर कांग्रेस बीजेपी को सबसे बड़ी चुनौती पेश करती है। ऐसे में कांग्रेस मुस्लिम वोटरों को नाराज नहीं करना चाहेगी

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