नरेन्द्र पाण्डेय : सोशल मीडिया पर यूँ तो रोजाना कुछ ना कुछ वायरल होता ही रहता है पर इन दिनों आइज आन राफा नाम का एक पोस्ट काफी शेयर किया जा रहा है और इसमें मुख्य बात यह है कि इसमें हमारा बॉलीवुड काफी इंटरेस्ट ले रहा है.इनमे से तो बहुतो को तो रफा के बारे में जानकारी भी नहीं होगी कि यह कहाँ है क्या है इजराइल और फिलीस्तीन का क्या मैटर है, इनकी लड़ाई क्यों हो रही है, हमास. कौन है. फिर भी बोलना है क्योंकि लोग बोल रहे हैं लोग वायरल कर रहे हैं तो यह भी करेंगे. इस पोस्ट के ऊपर भी कर लेते हैं. तो चलिए इस बारे मे थोड़ी सी जानकारी आपके साथ साझा कर लेता हूँ. दरअसल आल आइज ऑन रफा को एक अभियान के तहत चलाया जा रहा है. यह अभियान विश्व स्वास्थ्य संगठन के फिलिस्तीन कार्यालय के निदेशक डॉक्टर रिकी पीपरकॉर्न के द्वारा दिए गए बयान के बाद शुर हुई है. उन्होंने फरवरी 2024 में कहा था की सभी की निगाहें राफा पर है. जब इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतिन्याहु ने शहर के लिए निकासी योजना का आदेश दिया था जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह बताना था कि राफा की स्थिति पर आंख मूंदना नहीं है.
और जब जब ट्रेण्ड चलने लगा तो पाकिस्तानकी एक एक्ट्रेस माहिरा खान ने पोस्ट को इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए लिखा कि लोगों को जिंदा जला दिया गया है जब वह अपने तम्बूओं में सो रहे थे जो एक तरह से सुरक्षित शरणर्थी थे उनके ऊपर बार-बार बमबारी की गई है हम किस नरक की दुनिया में रह रहे हैं यह कौन लोग हैं जो जले हुए सर, कटे हुए बच्चे को देख सकते हैं,? और उन्हें बुरा तक नहीं लगता, सत्ता की भूखी दुनियाँ ने इस मानवता को निराश कर दिया...तो भाई हमारा बॉलीवुड कहां पीछे रहने वाला था क्योंकि देश के सारे बुद्धिजीवी तो यहीं बैठे हैं तो बॉलीवुड सितारों ने भी सोशल मीडिया पर ऑल आइज ऑन राफा ट्रेंड करना चालू कर दिया.
अभिनेत्री नुसरत भरुच याद है न आपको, जी वही नुसरत भरुच जो 2023 मे फिलिस्तीन जंग मे निशाना बनते बनते बची थी. मीडिया मे देखा होगा किस तरह उसे बचाकर भारत लाया गया था. वापस आकर उसने इंस्टाग्राम पर विडिओ शेयर करके भारत और इजरायाल सरकार की जमकर तारीफ़ की थी, अब उसने इसके उलट फिलस्तीन के सपोर्ट मे पोस्ट करने लगी तो सोशल मिडिया पर लोगों ने उसकी तुलना गिरगिट से करने लगे.
हालाँकि इजरायाल प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि दक्षिणी गज़ा शहर राफा मे एक दुःखद गलती कें कारण आग लग गई और फिलिस्टिंनी शरणआर्थियों का एक तम्बू शिविर नष्ट हो गया. रिपोर्ट केंनुसार वहाँ लगभग 45 लोगों की मृत्यु हो गई.
इसघटना के बाद कुछ यूरोपीय देश फिलिस्तीन जे साथ एकजुटता दिखाने लगे. और ऑल आईज ऑन राफा की इमेज़ वाली पोस्ट कई वैश्विक हस्तियों द्वारा पोस्ट और शेयर किया जाने लगा. भारतीय क्रिकेट टीम कें कप्तान रोहित शर्मा की पत्नी भी इनमे शामिल हुई और ट्रोल भी हुई.
बिग बॉस ओटीटी 2 के विनर एलविश यादव की पोस्ट की तारीफ और आलोचना दोनों होने लगी.उसके बाद बुद्धिजीवी वर्ग में शामिल हो गए प्रियंका चोपड़ा आलिया भट्ट करीना कपूर और वरुण धवन जैसे और भी लोगों ने भी इस ट्रेंड का हिस्सा बन गए. प्रियंका चोपड़ा ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ट्रेंड ऑल आइज ऑन राफा की तस्वीरें शेयर की और हमले का कड़ा विरोध किया वरुण धवन ने भी इंस्टाग्राम स्टोरी पर इजरायल के इस हमले के विरोध पर लिखकर शेयर कर दिया. समंथा और स्वरा भास्कर भी पीछे कहां रहते उन्होंने भी इस #को आगे बढ़ा लिया.
अब बात करते है इज़रायाल फिलिस्तीन युद्ध की तो यह सभी को पता है कि यह युद्ध क्यों लडा जा रहा है. यह भी सबको पता है आज भी इजरायल के कई लोग हमास के पास बंधक है इन बंधको में छोटे और नवजात बच्चे भी शामिल है. अक्टूबर 2023 को पूरी दुनिया ने इसराइल पर हुए हमले का सीधा प्रसारण भी देखा था यह भी लोगों ने देखा था कि कैसे लड़कियों को अगवा कर लिया गया था कैसे उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था, कैसे नन्हे बच्चों तक को मार डाला गया था, और वह भी तड़पा तड़पा कर. मगर ऐसा क्यों है कि उसे क्रांतिकारी कादम बताया गया और यह कहा गया है कि यह अन्याय का विरोध है और किसी सेलिब्रिटी ने इस हमले का विरोध उस समय नहीं किया था. यहां तक एक भारतीय टीवी अभिनेत्री मधुरा नायक की कजिन और उसके पति की हत्या भी इसी हमास हमले के आतंकियों द्वारा उनके बच्चों की आंखों के सामने ही कर दी गई थी,तब उनके साथ के लिए न तो टीवी और नहीं बॉलीवुड का कोई हस्ती दर्द बांटने के लिए आगे आया था. आज जब इसराइल अपने बंधकों को छुड़ाने के लिए हर संभव प्रयास करने के क्रम में राफा पर हमला किया तो बॉलीवुड की कई हस्तियों ने अचानक से एक तस्वीर अपनी अपनी इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर साझा करना शुरू कर दिया और उसमें लिख दिया गया ऑल आइज आन राफा.
यह लोग जो आज कह रहे हैं कि हर जान उनके लिए मायने रखती है वे ईरान सरकार द्वारा निर्दोष महिलाओं के उसे क़त्लेआम पर अपने मुँह मे दही क्यों जमा लेते हैं जो केवल इस वजह से अपनी जान गवा रही है कि उन्हें अनिवार्य हिजाब नहीं पहनना है, उनके लिए उस किशोरी की जान क्यों नहीं माने रखती जिसे ईरान में मेट्रो पर इस कदर पीटा जाता है कि वह कामा मे चली जाती है और क्यों महसा अमीन की मृत्यु के बाद उसकी भीड़ के आंदोलन का हिस्सा बनने से इनकार कर देती है? क्या इन निर्दोष लड़कियों की जान कीकीमत इन लोगों के लिए कुछ भी नहीं होती?
अरे इन बुद्धिजीवियों में से तो कइयों को यह भी जानकारी नहीं होंगी कि यदि राफा पर हमला हुआ है तो उसके पीछे हमास का हाथ है यह कल्पना ही की जा सकती है कि जिनकी नजर राफा तक पहुंच गई उनकी नजर अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा वहाँ की महिलाओं पर लगातार होते हमलों पर क्यों नहीं गई?कैसे धीरे-धीरे परत दर परत उनकी आजादी को खत्म किया गया, कैसे वहां पर नन्ही लड़कियों की शादी कर दी जाती है, कैसे वहां पर लड़कियों का स्कूल जाना बंद कर दिया गया? कैसे वहां पर महिलाओं को कहीं अकेले पर भी अकेले आने जाने पर पाबंदी है. कैसे उन्हें एक काले बुर्के में कैद कर दिया गया और कैसे हिसाब के नाम पर उन्हें जेल भेज दिया जाता है. यार इन बॉलीवुड की हस्तियाँ कभी भारत की लड़कियों के लिए भी आवाज क्यों नहीं उठाती. इनकी नजर उन मुस्लिम लड़कियों तक भी क्यों नहीं जाती जो मुस्लिम समुदाय की कट्टर और पिछड़े सोच का शिकार होती रही है. इनकी नजर राफा तक तो पहुंचती है, लेकिन कश्मीर की किसी अमरीन भट्ट की हत्या तक नहीं पहुंचती है जिसकी हत्या पाकिस्तान के इस्लामी आतंकवादियों ने कर दी थी अमरीन एक अभिनेत्री थी और संभावित है उन सभी अभिनेत्री को पसंद रही होगी जो मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में काम करती है मगर अमरीन की हत्या पर किसी ने भी एक आवाज नहीं उठाई थी. उनकी नजर अमरीन की बंदूको से छलनी लाश तक क्यों नहीं पहुंची थी. यह दुर्भाग्य ही है कि भारत में जो बेचारी युवा लड़कियां इस प्रकार की हिंसा का शिकार होती है वही इनकी फिल्मों को देखकर इन लोगों को अपना रोल मॉडल बना लेती है. सवाल यह है कि भारत की जनता जो अपने खून पसीने की कमाई से टिकट खरीद कर इन जैसे लोगों को स्टार बनती है और उनकी ब्रांड वैल्यू का निर्माण करती है. इनकी नजर उस भारत की आम जनता तक क्यों नहीं जाती? यह वह लोग है जो जिस देश में रहते हैं, जिस देश ने उन्हें पहचान दिया, मान सम्मान दिया उस देश में इनकी नज़र केवल एजेंडा वाली घटनाओं तक ही जाती हैं, क्योंकि शायद यहां से इनको फंडिंग होती है इस तरह के मुजरा करने के लिए.
जब आगरा की मस्जिद के बीच पर एक महिला का शव मिलता है तो इन लोगों की नजर नहीं जाती है. भारत की लड़किया तो सवाल पूछेंगे ही ना कि हमारा क्या गुनाह है जो आप हमारे साथ यदि कोई ऐसी घटना होती है तो आवाज नहीं उठाती? प्रश्न तो उठेगा कि आखिर यह नजर इतनी सिलेक्टिव क्यों है?