हरियाणा मे 10 साल बाद कांग्रेस की वापसी , जम्मू मे किसी को बहुमत नहीं


नरेंद्र पाण्डेय : हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों के लिए चुनाव पांच अक्टूबर को संपन्न हुआ। मतदाता फर्स्ट डिविजन से पास हुए। अब बारी प्रत्याशियों की है कि फैसला उनके खिलाफ जाएगा या उनके मुकद्दर में चंडीगढ़ का सफर लिखा है। वैसे तो नतीजों का औपचारिक ऐलान 8 अक्टूबर को होगा। लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल के आंकड़े सामने हैं। अगर उन नतीजों को औपचारिक नतीजों में तब्दील होते हुए देखा जाए तो बीजेपी 10 साल बाद सत्ता से बाहर हो रही है। नतीजों मे 10 वर्ष बाद हरियाणा की जनता ने कांग्रेस के हाथ को साथ दे दिया है।कांग्रेस पार्टी को 57 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। भाजपा बहुमत से काफी दूर 28 सीटों पर सिमट सकती है। वहीं जम्मू-कश्मीर में किसी भी पार्टी को बहुमत के करीब पहुंचते नहीं दिख रहा । नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के सत्ता में आने का अनुमान है। गठबंधन को 41 सीटें मिल सकती है। भाजपा 28 सीटों पर सिमट सकती है। PDP को 10 और अन्य को 11 सीटें मिलेंगी।


बात हरियाणा की करें जहाँ बीजेपी पिछले 10 वर्षों से सत्ता मे रही । अगर एग्जिट पोल के नतीजों को गौर से देखें तो उसे हरियाणा के हर हिस्से में नुकसान होता नजर आ रहा है। चुनाव की शुरुआत से ही माहौल कांग्रेस के पक्ष में रहा है। एंटी इनकम्बेंसी, किसानों, युवाओं की नाराजगी और पहलवानों के आंदोलन की वजह से BJP पिछड़ती नजर आई। बड़े नेताओं की बड़ी रैलियों के बाद थोड़ा मोमेंटम बना, लेकिन कम समय होने की वजह से उसका फायदा नहीं मिल पाया बीजेपी का सीएम बदलने वाला फॉर्मूला भी यहाँ काम करता हुआ नजर नहीं आ रहा है। या यूं कहें कि केंद्र सरकार की नीतियों का खामियाजा बीजेपी को राज्य में उठा पड़ रहा है। अगर आप आम चुनाव 2024 के नतीजों को देखें तो हरियाणा की जनता ने इशारा कर दिया था कि बीजेपी के लिए किस तरह की तस्वीर रहने वाली थी। वैसे हरियाणा बीजेपी की तरफ से कई चुनावी वादे किये गए। लेकिन वोटर्स ने उन वादों को सिर्फ छलावा माना। किसान आंदोलन के दौर की ज्यादती, गम और गुस्सा अभी भी कायम है। कांग्रेस का एमएसपी को कानूनी दर्जा दिलाने का वादा हरियाणा मे काम कर गया । दिल्ली के जंतर मंतर पर जिस तरह से विनेश फोगाट समेत दूसरी महिला खिलाड़ियों के साथ बर्ताव किया गया वो यहां के लोगों को पसंद नहीं आया। हरियाणा में यह भावना काम कर गई कि केंद्र सरकार हर संभव तरीके से खेल और खेल संघों में हरियाणा के दबदबे को तोड़ने की फिराक में है। ब्रजभूषण शरण सिंह का मुद्दा यहां छाया रहा है।

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जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए, सवाल हैं। क्या नए कश्मीर का दावा करने वाली BJP सरकार बना पाएगी? या फिर 16 साल बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी और लोकसभा चुनाव के बाद नए तेवर में दिख रही कांग्रेस का क्या होगा? 10 साल बाद हुए चुनाव मे जम्मू-कश्मीर में एक पार्टी या अलायंस को बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटें मिलती नहीं दिख रही हैं।सबसे ज्यादा सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस के अलायंस को मिल सकती हैं। दूसरे नंबर पर BJP रह सकती है। पिछली CM महबूबा मुफ्ती की पार्टी PDP की सीटें भले दहाई से कम रहें, लेकिन वे किंगमेकर की भूमिका में आ सकती हैं। इस बार निर्दलीय उम्मीदवार भी सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। खैर ये तो exit पोल के फिगर थे वास्तविक नतीजे तो 8 अक्टूबर को आएंगे लेकिन बीजेपी की राजनीति के बारे में आम धारणा यह भी है कि यह पार्टी व्यवहारिक पक्ष के बारे में कम सोचती है। यह बात सच है कि देश का आर्थिक विकास होना चाहिए। लेकिन उसका फायदा आम जन को भी मिलना चाहिए। यही वो विषय है जिस पर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने घेरने की कोशिश की जिसका फायदा उन्हें मिलता नजर आ रहा है।

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