नरेन्द्र पाण्डेय : अन्ना आंदोलन के बाद अरविंद केजरीवाल ने जब आम आदमी पार्टी का गठन किया तब आंदोलन से जुड़े अनेक धुरंधरों ने उनकी पार्टी को ज्वाइन किया था जिसमें कुमार विश्वास योगेंद्र यादव आशुतोष प्रशांत भूषण जैसे बहुतेरे नाम थे. आम आदमी पार्टी की गठन के 3 साल बाद ही एक बड़ा भूचाल आया जिसमें दिग्गज नेता योगेंद्र यादव प्रशांत भूषण अरविंद केजरीवाल से अलग हो गए. उसे वक्त आतिशी योगेंद्र यादव की करीबी थी और अतिथि पार्टी की प्रवक्ता थी. अतिशी को आम आदमी पार्टी में योगेंद्र यादव ही लेकर आए थे. पार्टी में बगावत हुई योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास ,प्रशांत भूषण आशुतोष जैसे लोग पार्टी से अलग हो गए लेकिन आतिशी पार्टी में बनी रही मगर उन्हें पार्टी प्रवक्ता पद से हटा दिया गया था. उस वक्त आतिशी ने योगेंद्र का साथ छोड़कर अरविंद केजरीवाल पर भरोसा जताया था, आज वही फैसला 9 साल बाद उनके लिए मास्टर स्टॉक साबित हुआ और आतिशी अब दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ गई है.दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाली आतिसी तीसरी महिला होंगी इसके पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित इस कुर्सी को सुशोभित कर चुकी है.
आतिशी को आने वाले महीनो में फूंक फूंक कर कदम रखने होंगे उन्हें बढ़ती कलहपूर्ण राजनीति के बीच एक अच्छी सरकार चलाने के लिए संघर्ष करने पड़ेगे.एक तरफ केजरीवाल सड़कों पर होंगे बीजेपी से निपटेंगे और एलजी पर निशाना साधेगे, तो दूसरी ओर बीजेपी केजरीवाल को बदनाम करने और पार्टी और सरकार दोनों पर निशाना साधने की हर संभव संसाधन का उपयोग करेगी हालांकि केजरीवाल एक अच्छे वक्त है, जिसका फायदा पार्टी को मिलेगा. आतिशी के लिए जो सबसे कठिन काम होगा वह है दिल्ली शराब नीति मामला और एलजी कार्यालय के साथ बना लगातार टकराव जो दिल्ली के सुशासन पर भी असर डालता है. दिल्ली में जमा कूड़े के पहाड़, टूटी सड़के, नालों से निकलने वाली बदबू के बीच भारी मानसून बारिश से जो शहर के हालात खस्ता हाल हुई है वह लोगों को जरूर निराश करती है.
केजरीवाल ने अतिशी को
भारी बोझ सौंप दिया है. देखना होगा क्या वह चुनाव की घोषणा से पहले मिले कम समय
में नुकसान की भरपाई कर सकती है? क्या वह कोई उपलब्धि बता पाने में कामयाब हो पायेगी? वह भी तब जब केजरीवाल और एलजी
सक्सेना के बीच रोजाना लड़ाई चलती रहेगी.