नरेन्द्र पाण्डेय : दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित एक सभा में आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने खुद की और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तुलना भगवान राम और लक्ष्मण से की। इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में एक बड़ी बहस छिड़ गई है।इस सभा में उन्होंने बताया कि जेल में रहते समय उनसे सीबीआई ने क्या बातचीत की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें जेल में अधिकारियों द्वारा यह कहने का प्रयास किया गया कि अरविंद केजरीवाल ने उनका नाम दे दिया है, और यदि सिसोदिया भी केजरीवाल का नाम ले लें तो वह बच सकते हैं। इस पर सिसोदिया ने जवाब दिया, “आप लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश कर रहे हो। दुनिया में कोई ताकत नहीं जो लक्ष्मण को राम से अलग कर सके।” उन्होंने अपनी और केजरीवाल की 26 साल पुरानी दोस्ती का हवाला देते हुए कहा कि उनका रिश्ता अटूट है, और कोई भी ताकत इसे तोड़ नहीं सकती।
अब देखना होगा की ये जोड़ी हरियाणा चुनाव मे क्या गुल खिलाती
है जहाँ किसान, खिलाड़ी और सैनिक ताकत के तीन बड़े स्तंभ बनकर खड़े है भाजपा
यहाँ कमजोर हुई है जिसकी झलक लोकसभा चुनव मे देखने को मिली थी । पार्टी राज्य की
10 में से केवल पांच सीटें ही जीत सकी थी । अब, जब राज्य में चुनाव होने
में मात्र 15 दिन शेष हैं, किसानों, खिलाड़ियों और सैनिक बनने
की इच्छा रखने वालों का विरोध प्रदर्शन भाजपा नेतृत्व को परेशान कर रहा है।भाजपा
नेता लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन सत्तारूढ़
पार्टी के लिए यह कार्य कठिन होगा, क्योंकि उसे 10 साल की
सत्ता विरोधी लहर के अलावा पिछले कुछ वर्षों में लिए गए निर्णयों के कारण लोगों की
नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है।
किसानों द्वारा अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली के बाहरी इलाके में घेराव करने के सात महीने बाद, हरियाणा के किसानों को लगता है कि केंद्र ने उनकी मांग पर कार्रवाई नहीं की और उन्हें राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से केवल झूठे आश्वासन मिले। पिछले साल विनेश फोगट और साक्षी मलिक जैसी स्टार एथलीट समेत कई महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और उनके साथी ओलंपियन पहलवान बजरंग पुनिया भी उनके साथ विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे। फोगट और पुनिया दोनों ही आगामी चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।
विवादास्पद अग्निपथ योजना की बात करें तो केंद्र और भाजपा शासित राज्यों द्वारा कई सुधारात्मक उपाय किए जाने के बावजूद सशस्त्र बलों में अल्पकालिक भर्तियों के लिए आगे का रास्ता स्पष्ट नहीं दिखता है। केंद्र ने घोषणा की है कि केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को केवल चार साल की सेवा के बाद बल में बने रहने की अनुमति दी जाएगी, इस योजना के बारे में व्यापक निराशा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता भी चिंतित हैं। उन्हें डर है कि अगर पार्टी हरियाणा में अपने दम पर या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ मिलकर सरकार में वापस नहीं आ पाती है, तो विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) इन मुद्दों का इस्तेमाल करके कम से कम अगले पांच साल तक केंद्र के लिए समस्याएं खड़ी कर सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तीन प्रमुख कारकों को छोड़कर, सत्ता विरोधी लहर भाजपा के लिए एक बड़ी बाधा है।"लोकसभा और विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, भाजपा नेतृत्व ने एमएल खट्टर को हटाकर सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। यह निर्णय सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए लिया गया था। हालांकि, इस कदम से भाजपा को वांछित परिणाम नहीं मिले हैं। किसानों, पहलवानों और अग्निवीर उम्मीदवारों के विरोध के कारण पार्टी के लिए समस्या और भी गंभीर हो गई है ये सभी मुद्दे चुनाव के नतीजे तय कर सकते हैं।