महाकुंभ की गरिमा को बचाने की ज़रूरत


नरेन्द्र पाण्डेय : महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन का उद्देश्य केवल धार्मिक और आध्यात्मिक उत्थान है, लेकिन आज इसका स्वरूप बदलता दिख रहा है। मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने इसे टीआरपी और वायरल कंटेंट का साधन बना दिया है।  

आज के दौर में, जहां सोशल मीडिया का प्रभाव हर क्षेत्र में बढ़ा है, वहीं महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजनों की गरिमा को भी अनदेखा किया जा रहा है। यूट्यूब क्रिएटर्स द्वारा हास्यास्पद और कभी-कभी अशोभनीय प्रश्न पूछे जा रहे हैं। यह केवल सनातन धर्म की परंपराओं का अपमान है, बल्कि इसके गहन आध्यात्मिक संदेश को भी हास्यास्पद बनाने की कोशिश है।  

हाल ही में एक यूट्यूबर ने तपस्वी बाबा से यह प्रश्न किया कि वे अपनी दैनिक क्रियाएं कैसे पूरी करते हैं। इस तरह की बातें भले ही किसी के लिए मज़ाक हो सकती हैं, लेकिन यह हमारी संस्कृति और धर्म के प्रति उनकी अपरिपक्वता और असंवेदनशीलता को दर्शाता है।  

महाकुंभ में अखाड़ों की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। ये अखाड़े संतों और सन्यासियों की तपस्या का प्रतीक हैं। लेकिन हाल के वर्षों में, अखाड़ों में पदों का वितरण राजनीतिक प्रभाव और पैसों के आधार पर होने लगा है। इससे न केवल उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि धर्म के प्रति लोगों की आस्था भी कमजोर हो रही है।  

महाकुंभ, जो आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है, उसे टीआरपी और वायरल कंटेंट का साधन नहीं बनने देना चाहिए। इस आयोजन की गरिमा बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:  
 वायरल और अशोभनीय कंटेंट को रोकने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कड़े नियम लागू करने चाहिए।  
मीडिया हाउस और यूट्यूबर्स को धार्मिक आयोजनों की संवेदनशीलता को समझना होगा और जिम्मेदारी से रिपोर्टिंग करनी होगी।  
 अखाड़ों को पारदर्शिता और तपस्या के आधार पर पदों का वितरण सुनिश्चित करना चाहिए।  
 लोगों को ऐसे कंटेंट का समर्थन नहीं करना चाहिए जो धर्म और संस्कृति का मजाक बनाता हो।  
महाकुंभ केवल स्नान का अवसर नहीं है; यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। इसका उद्देश्य मानवता का उत्थान और धर्म का प्रचार-प्रसार है। इसे मनोरंजन और व्यापार का साधन बनाना न केवल हमारे सनातन धर्म का अपमान है, बल्कि समाज की आध्यात्मिक धरोहर के प्रति भी असंवेदनशीलता है।  

धर्म और आस्था का सम्मान हर व्यक्ति का दायित्व है। इसे बचाने और इसके मूल संदेश को बनाए रखने के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा।

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