चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर व मुनिश्री नरेश कुमार के सान्निध्य में नवकार को बताया सर्वसिद्धिदायक महामंत्र, कहा- आदि अनादि काल से है विद्यमान


रायपुर. राजधानी स्थित लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर में जारी चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर व मुनिश्री नरेश कुमार के सान्निध्य में आज शनिवार को “नवकार मंत्र करें भव पार” विषय पर विशेष प्रवचन रखा गया था. इस दौरान मुनि सुधाकर ने “महामंत्र नवकार….” का मधुर गीत गाया और श्रोताओं को जन्म-मरण के चक्र यानि भवसागर करने का मूल मंत्र दिया.

मुनिश्री सुधाकर ने कहा कि नवकार महामंत्र आदि अनादि काल से विद्यमान है, जिसका प्रमाण हमें भगवान की वाणी अर्थात आगमों में उल्लेख से मिलता है. नवकार महामंत्र मंत्र न होकर महामंत्र है, क्योंकि जिस मंत्र से अन्य मंत्रों की रचना या उस मंत्र का उपयोग अन्य मंत्रों के निर्माण में किया जाता है, उसे महामंत्र कहा जाता है.

मुनि सुधाकर ने आगे कहा कि नवकार महामंत्र में किसी भी व्यक्ति विशेष की आराधना न हो कर गुणों की आराधना कि गई है. नवकार महामंत्र के क्रमशः पांच पदों में जीवन के सारभूत पांचों तत्वों का समावेश या उल्लेख होता है. नवकार महामंत्र सर्वसिद्धिदायक सर्वमंगलकारी है. इसके सुमिरण से पाप कर्मो का क्षय होता है. नवकार महामंत्र शाश्वत मंत्र है जो जैन धर्म की सभी परम्पराओं में एक रूप में मान्य है.  

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