लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दिखाया दबदबा, कांग्रेस को हासिए पर ढकेला


वर्ष 2024 की विदाई के अंतिम क्षण हैं. हमेशा की तरह सालभर में घटित सियासत घटनाएं अन्य विषयों की पर ज्यादा हावी है. राजनीतिक में राष्ट्रीय परिदृश्य जैसे नजर आ रहा है, उसकी छाया प्रदेश की राजनीति में साफ नजर आ रहा है. बीते साल 2023 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा में धमाकेदार जीत को 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर जनता में अपनी पकड़ को साबित किया, वहीं कांग्रेस 2023 में खोई हुई अपनी जमीन को 2024 में पहले लोकसभा चुनाव और फिर बाद में रायपुर दक्षिण के विधानसभा उपचुनाव में वापस हासिल करने में बुरी तरह से नाकाम नजर आई.

उतार-चढ़ाव से भरे साल 2024 के समापन पर हम आपको सालभर के सियासी घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से बता रहे हैं. इसकी शुरुआत अप्रैल महीने से शुरू हुई लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया से करते हैं. छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में लोकसभा चुनाव हुआ. 19 अप्रैल को बस्तर में, 26 अप्रैल को कांकेर, राजनांदगांव, महासमुंद, 7 मई 7 सीट पर रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, दुर्ग और सरगुजा में मतदान हुआ. इन ग्यारह लोकसभा सीटों का परिणाम देश के अन्य लोकसभा सीटों के साथ ही 4 जून को आया, जिसमें 11 सीटों में से 10 पर भाजपा ने जीत हासिल की, केवल एक कोरबा की सीट पर कांग्रेस की ज्योत्सना महंत ने जीत हासिल की.

लोकसभा चुनाव परिणाम ने दूर कर दी भ्रांति

लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली एकतरफा जीत ने 2023 में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ लोगों के मन में बने कश्मकश को दूर कर दिया. 2023 विधानसभा चुनाव परिणाम को बहुत से लोगों ने स्थानीय कांग्रेस सरकार की कार्यशैली से जोड़कर प्रस्तुत किया था, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा की एकतरफा जीत ने साबित कर दिया कि आम मतदाताओं ने अब व्यक्ति पर नहीं, बल्कि नीतियों पर अपने विचार व्यक्त करने शुरू कर दिए हैं, जो देश-प्रदेश में लोकतंत्र की जड़ों के मजबूत होने का सबूत है.

ज्योत्सना महंत ने बचा ली कांग्रेस की लाज

प्रदेश के 11 लोकसभा सीटों में से 10 पर भाजपा ने जीत हासिल की. केवल एक कोरबा की सीट पर भाजपा की कद्दावर नेता सरोज पांडेय को कांग्रेस नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी. वोट का मार्जिन 43 हजार 283 था. वहीं दूसरी ओर रायपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस के विकास उपाध्याय को 5 लाख 75 हजार से ज्यादा मतों के विशाल अंतर से पराजित किया. दोनों ही जीत में एक बड़ा संदेश था कि पार्टी के साथ अगर प्रत्याशी का सद्भाव जुड़ जाए तो परिणाम आसमान छू सकता है.

भाजपा की जीत का तोखन को मिला प्रतिफल

प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों में भाजपा की जीत का सही प्रतिफल अगर किसी को मिला तो वह बिलासपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल करने वाले तोखन साहू रहे. भाजपा के अभेद गढ़ बिलासपुर में तोखन साहू ने 724937 वोट हासिल किए, वहीं उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को 560379 वोट मिले. इस तरह से 164558 वोट के अंतर से तोखन साहू ने जीत हासिल की. बिलासपुर के साथ-साथ प्रदेश में हुई भाजपा की जीत के प्रतिफल के तौर पर तोखन साहू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3.0 में जगह मिली और उन्हें आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री नियुक्त किया गया.

रायपुर दक्षिण विस उपचुनाव में बृजमोहन का दबदबा

विधायक बृजमोहन अग्रवाल के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद रायपुर दक्षिण विधानसभा के उप चुनाव में कहने को तो भाजपा के प्रत्याशी सुनील सोनी थे, लेकिन पूरे चुनाव के दौरान बृजमोहन अग्रवाल की ही चर्चा होती रही. सियासी गलियारों में कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा के नाम की हवा चलाई गई, लेकिन जमीन पर बीते कई चुनाव की तरह चल रही आंधी को सियासत से जुड़े देखने या आंकलन करने में नाकाम रहे. सुनील सोनी ने उप चुनाव में कम वोटिंग परसेंट के बावजूद 46 हजार मतों के अंतर से जीत हासिल की, जो कांग्रेस प्रत्याशी को मिले वोट से भी ज्यादा थे.

कांग्रेस में विलय को आतुर जोगी कांग्रेस

साल के अंत तक एक बड़ा सियासी घटनाक्रम सामने आया, जिसके कयास सालों से लगाए जा रहे थे. बात हो रही है जोगी कांग्रेस याने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा स्थापित छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) के कांग्रेस में विलय के लिए अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखना. अजीत जोगी को 29 मई 2020 को निधन के बाद से ही पार्टी के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे थे. लेकिन विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार और उसके बाद डॉ. रेणु जोगी की स्वास्थ्य संबंधी समस्या ने पार्टी को विषय पर गंभीर रूप से सोचने पर मजबूर किया, जिसके बाद दीपक बैज को पत्र लिखा गया.

कांग्रेस के लिए फैसला लेना हुआ मुश्किल

कांग्रेस के लिए जोगी कांग्रेस को पार्टी में शामिल करना कितना कठिन है, इस अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस विषय पर निर्णय लेने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. अजीत जोगी ने कांग्रेस के बड़े नेताओं से मतभेद के बाद ही अपनी पार्टी का गठन किया था. जिन कांग्रेस नेताओं के साथ मिलकर उन्होंने पार्टी का गठन किया था, वे भाजपा में जा चुके हैं. ऐसे में विचारधारा के सवाल पर पार्टी के विलय की बात को हजम करना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो रहा है, इसलिए जोगी के कटु आलोचक रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समिति से परे अपनी बात पार्टी के आला नेताओं से कहने की बात कह रहे हैं. हालांकि, यह फैसला कांग्रेस के आला कमान के लिए जितना आसान है, उतना ही स्थानीय नेताओं के लिए यह मुश्किल है.

राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे देवेंद्र यादव

पहले महापौर और उसके बाद लगातार दो बार से भिलाई विधानसभा सीट से दिग्गज भाजपा नेता प्रेम प्रकाश पांडेय को पराजित कर विधायक बनने वाले देवेंद्र यादव इन दिनों राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. 10 जून 2024 को बलौदाबाजार कलेक्टोरेट में तोड़फोड़ और आगजनी की घटना में पुलिस ने 17 अगस्त को कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव को गिरफ्तार किया था. तब से लेकर अब तक देवेंद्र यादव जेल में ही हैं. केवल बलौदाबाजार वाला मामला ही नहीं बल्कि अन्य दूसरे मामलों में भी देवेंद्र यादव की संलिप्तता साबित करने की कोशिश की जा रही है, इसमें कोल लेव्ही और एमएमएस कांड भी शामिल है.

नंद कुमार साय की भाजपा में वापसी

एक साल पहले बीजेपी से ऑफलाइन होकर कांग्रेस में शामिल होने वाले नंद कुमार साय ने 3 सितंबर को वापस भाजपा में शामिल हो गए. उन्होंने रायपुर में बीजेपी की सदस्यता अभियान के अवसर पर ऑनलाइन सदस्यता लेते हुए सोशल मीडिया में इस बात पुष्टि की.

नंद कुमार साय 30 अप्रैल 2023 को बीजेपी से अलग हुए थे. उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद एक मई को कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस में प्रवेश करने के बाद बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त और भाजपा की बंपर जीत ने उन्हें फिर से निर्णय लेने पर मजबूर कर दिया. 

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